1. योजना का नाम : मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना।
2. योजना का प्रारंभ : वर्ष 2016-17
3. योजना का उद्देश्य : योजना का उद्देश्य समाज के अनुसूचित जाति वर्ग के लिये स्वयं का उद्योग (विनिर्माण)/सेवा उद्यम स्थापित करने हेतु बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराना है। योजनांतर्गत हितग्राहियों को मार्जिन मनी सहायता, ब्याज अनुदान, ऋण गारंटी एवं प्रशिक्षण का लाभ शासन द्वारा दिया जावेगा।
4. योजना का क्रियान्वयन : योजना के क्रियान्वयन आयुक्त अनुसूचित जाति कल्याण विभाग अंतर्गत म.प्र. राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम मर्या. भोपाल द्वारा अपनी जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समितियों के माध्यम से योजना को क्रियान्वित किया जावेगा।
5. पात्रता :
5.1 योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश होगा (अर्थात् योजना का लाभ उन्हीं उद्यमों को देय होगा जो मध्यप्रदेश सीमा के अन्दर स्थापित हों)।
5.2 आवेदक :
5.2.1 मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो।
5.2.2 न्यूनतम 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण हो।
5.2.3 आवेदन दिनांक को आयु 18 से 40 वर्ष के मध्य हो।
5.2.4 किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक/वित्तीय संस्था/सहाकरी बैंक का चूककर्ता/अशोधी (Defaulter) नहीं होना चाहिए।
5.2.5 यदि कोई व्यक्ति किसी शासकीय उद्यमी/स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत सहायता प्राप्त कर रहा हो, तो इस योजना के अन्तर्गत पात्र नहीं होगा।
5.2.6 सिर्फ एक बार ही इस योजना के अन्तर्गत सहायता के लिये पात्र होगा।
6. वित्तीय सहायता :
6.1 इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत न्यूनतम रूपये 10 लाख से अधिकतम रूपये एक करोड़ होगी।
6.2 इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत पर मार्जिनमनी सहायता 15 प्रतिशत (अधिकतम रूपये 12 लाख) देय होगी।
6.3 इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत पर 5 प्रतिशत की दर से अधिकतम 7 वर्ष तक ब्याज अनुदान देय होगा।
6.4 इस योजना के अंतर्गत गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम 7 वर्ष तक देय होगी। इस योजनांतर्गत व्यापारिक गतिविधियां पात्र नहीं होगी।
7. आवेदन प्रक्रिया :
7.1 आवेदक द्वारा निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्या द्वारा आवश्यक सहपत्रों सहित प्रस्तुत किया जायेगा। आवेदन पत्र निःशुल्क रहेगा।
7.2 सभी प्राप्त आवेदन पंजीबद्ध किये जावेंगे। अपूर्ण आवेदन पूर्ण करने हेतु यथा संभव आवेदक को सूचित किया जायेगा।
7.3 आवेदक द्वारा प्रस्तावित गतिविधि की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन) चार्टर्ड एकाउंटेन्ट द्वारा प्रमाणित कर आवेदन के साथ संलग्न किया जाना होगा।
8. आवेदन पत्रों का निराकरण :
8.1 जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्या मे, प्राप्त आवेदन पत्र तथा विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन योजनांतर्गत गठित जिला टास्कफोर्स समिति के समक्ष प्रस्तुत किये जावेंगे।
8.2 आवेदन पत्रों के निराकरण एवं समीक्षा के लिए निम्नानुसार जिला टास्कफोर्स समिति गठित होगी-
1. कलेक्टर अध्यक्ष
2. जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक सदस्य
3. कोई एक प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंक के जिला समन्वयक/प्रतिनिधि सदस्य
4. परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण सदस्य
5. जिला संयोजक, सहायक आयुक्त, आदिम जाति अनुसूचित
जाति कल्याण विभाग सदस्य
6. संबंधित बैंक के शाखा प्रबंधक/प्रतिनिधि सदस्य
7. महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र सदस्य
8. मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला अ.स.वि.स.मर्या. सदस्य सचिव
टीपः- आवश्यक होने पर कलेक्टर किसी भी विभाग/संस्था/बैंक के अधिकारी/प्रतिनिधि/व्यक्ति विशेष को समिति की बैठक मे आवश्यकतानुसार बुला सकेंगे।
8.3 जिला टास्कफोर्स समिति की अनुशंसा उपरांत प्रकरणों को निराकरण हेतु बैंकों को अग्रेषित किया जावेगा।
8.4 उद्योग एवं सेवा संबंधी इकाई के लिए गारंटी, ऋण गारंटी निधि योजना (क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फार माईक्रो एण्ड स्माल एंटरप्राईजेस) के माध्यम से दी जावेगी। अतः बैंक द्वारा किसी प्रकार की कोलेटरल सिक्योरिटी (Collateral secuurity) की मांग आवेदक से नहीं की जावेगी।
8.5 बैंकों को रिजर्व बैंक के दिशा निर्देश अनुसार बैंक में प्रकरण प्राप्ति के 30 दिवस के अंदर निराकरण किया जावेगा।
8.6 प्रकरण स्वीकृति के 15 दिवस के अन्दर बैंक के द्वारा ऋण वितरण (disbursement) प्रारंभ किया जावेगा।
8.7 योजना के सुचारू रूप से क्रियान्वयन तथा सहायता प्राप्त उद्यमों की स्थापना, उद्यमियों की समस्याओं एवं अन्य विषय की समीक्षा जिला टास्कफोर्स समिति के द्वारा की जावेगी।
9 प्रशिक्षण :
9.1 योजना अन्तर्गत ऋण स्वीकृति के पश्चात् उद्यमी के विकल्प पर उद्यमिता विकास प्रशिक्षण आवश्यक होने पर शासन के द्वारा दिया जावेगा। इस संबंध मे पृथक से निर्देश जारी किये जावेंगे।
9.2 उद्यमिता विकास कार्यक्रम में पूर्व प्रशिक्षित आवेदक को इस योजना अन्तर्गत पृथक से प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक नहीं होगा परन्तु आवश्यकता के आधार पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जावेगी।
10 मार्जिनमनी सहायता एवं ऋण अदायगी :
10.1 परियोजना लागत पर 15 प्रतिशत (अधिकतम रू. 12 लाख) मार्जिनमनी सहायता हितग्राही को शासन/निगम की ओर से देय होगी तथा शेष आवश्यक होने पर मिर्जनमनी हितग्राही को स्वयं जमा करनी होगी।
10.2 आरंभिक स्थगन (moratorium) की न्यूनतम अवधि 6 माह होगी।
10.3 आरंभिक स्थगन(moratorium)के बाद,ऋण अदायगी 5 से 7 वर्ष के बीच होगी।
टीपः- अस्थगन के संबंध मे बैंको के द्वारा प्रयास होगा कि वो अधिक से अधिक समय नियत करें लेकिन यह अवधि कम से कम 6 माह की अवश्य हो। अवधि के संबंध मे बैंकों एवं हितग्राही द्वारा मिलकर तय किया जाना चाहिये और बैंकों के द्वारा यह प्रयास किया जाना चाहिये कि ऋण चुकाने की अवधि अधिक से अधिक हो अर्थात् 7 वर्ष तक हो।
11 वित्तीय प्रवाह :
11.1 ऋण स्वीकृति/वितरण के पश्चात् बैंको द्वारा मार्जिनमनी सहायता एवं ब्याज अनुदान का क्लेम मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति को भेजा जाकर प्राप्त किया जावेगा।
11.2 उद्यमी द्वारा नियमित ऋण भुगतान किये जाने पर ब्याज अनुदान का क्लेम बैंकों द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति से प्राप्त किया जायेगा।
11.3 ऋण गारंटी निधि योजना के अन्तर्गत गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति कार्यपालन अधिकारी जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति के माध्यम से संबंधित बैंक प्राप्त कर सकेंगे।
12 विविध :
12.1 योजनांतर्गत भागीदारी के प्रकरणों पर विचार किया जा सकता है परंतु भागीदारी एक ही परिवार के सदस्य के बीच मान्य नहीं होगी। समस्त भागीदारों द्वारा योजनान्तर्गत निर्धारित पात्रता की शर्तों का पालन अनिवार्य होगा। सहायता उद्यम के मान से दी जायेगी, पृथक-2 नही।
12.2 औद्योगिक इकाईयों का शासन की उद्योग संवर्धन नीति (यथा संशोधित) में घोषित पूंजीगत लागत अनुदान तथा ब्याज अनुदान को छोड़कर अन्य सुविधाऐं भी (पात्रता होने पर) प्राप्त हो सकेंगी।
12.3 बैंक से आशय समस्त राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण विकास बैंक से है, जो ऋण गांरटी निधि योजना (क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फार माईक्रो एण्ड स्माल एंटरप्राईजेस) अंतर्गत मान्य है।
12.4 गलत/भ्रामक जानकारी अथवा गलत तरीके से सहायता प्राप्त करने पर हितग्राही के विरूद्ध दाण्डिक कार्यवाही की जा सकेगी।
12.5 हितग्राही द्वारा ऋण/ब्याज के पुर्नभुगतान/भुगतान में डिफाल्टर करने की स्थिति में योजनांतर्गत पूर्व में दी गयी सहायता भू-राजस्व बकाया की तरह वसूली योग्य होगी तथा उक्त परिस्थिति में भविष्य में दी जाने वाली सहायता भी देय नहीं होगी।
12.6 जिला टास्कफोर्स समिति से प्राप्त संदर्भ राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी में विचार हेतु रखे जावेंगे।
12.7 योजना की व्याख्या/संशोधन हेतु अनुसूचित जाति कल्याण विभाग सक्षम होगा।
12.8 योजना का लाभ अधिकार स्वरूप नहीं लिया जा सकेगा।
13 विविध :
13.1 पूंजीगत लागत एवं कार्यशील पूंजी का योग परियोजना लागत है।
13.2 परियोजना की स्थापना में हितग्राही के अंशदान तथा शासन द्वारा प्रदत्त सुविधा, मार्जिनमनी सहायता कहलाती है।
13.3 परियोजना में उपयोग किये जाने वाले प्लांट एवं मशीनरी का मूल्य पूंजीगत लागत है।
13.4 क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फार माईक्रो एण्ड स्माल एंटरप्राईजेस योजना अन्तर्गत शासन द्वारा प्रदत्त सुविधा गारंटी शुल्क कहलाती है।
13.5 उद्यम प्रारंभ करने के 6 माह पश्चात् ऋण वसूली की कार्यवाही को आरंभिक स्थगन (moratorium) कहलाती