मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन प्रशिक्षण योजना
1. योग्यताए एवं पात्रताः-
1.1 प्रशिक्षणार्थी मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो।
1.2 राज्य शासन द्वारा घोषित अनुसूचित जाति वर्ग का हो।
1.3 योजना में निःशुल्क प्रशिक्षण हेतु शिक्षित बेरोजगार/शाला त्यागी (ड्रापआउट)। अभ्यार्थी पात्र होंगें।
1.4 अभ्यार्थी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8वीं उत्तीर्ण होगी अथवा पाठ्यक्रम के अनुसार निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी मान्य होगी।
1.5 अभ्यार्थियों की आयु सीमा 18 वर्ष से 35 वर्ष।
1.6 अभ्यार्थी के माता पिता/अभिभावक अथवा स्वयं की आय भारत सरकार द्वारा पोस्ट मेंट्रीक छात्रवृत्ति योजना की पात्रता हेतु निर्धारित आय सीमा के समान होगी।
1.7 इस योजना के तहत किसी अभ्यार्थी द्वारा प्रशिक्षण का लाभ केवल एक बार ही लिया जायेगा।
2. प्रशिक्षार्थियों का चयनः-
प्रशिक्षार्थियों का चयन कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के संचालक मण्डल द्वारा किया जायेगा या कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जायेगा जिसमें सहायक आयुक्त/जिला संयोजक आदिम जाति एवं अनु. जाति कल्याण विभाग, आई.टी आई./पोलीटेक्निक के प्राचार्य, महाप्रबंधक
जिला उद्योग केन्द्र, जिला रोजगार अधिकारी तथा मुख्यकार्यपालन अधिकारी/कार्यपालन अधिकारी जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति होंगें।
3. योजना के क्रियान्वयन हेतु नोडल ऐजेंसीः-
योजना के क्रियान्वयन हेतु म.प्र. राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम होंगी।
4. वित्त प्रबंधन-
4.1 प्रशिक्षण हेतु राज्य आयोजना मद से मांग संख्या 64 में अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत प्रतिवर्ष बजट प्रावधान किया जायेगा।
5. प्रशिक्षण हेतु ऐजेंसी-
प्रशिक्षण हेतु निम्नलिखित ऐजेंसी में से उपयुक्त ऐजेंसी का निर्धारण नोडल ऐजेंसी द्वारा किया जायेगाः-
5.1 तकनीक कौशल विभाग द्वारा संचालित आई.टी.आई।
5.2 तकनीक कौशल विभाग द्वारा संचालित मिनी आई.टी.आई।
5.3 तकनीक कौशल विभाग द्वारा संचालित एस.डी.सी. (कौशल विकास केन्द्र)।
5.4 विभागीय प्रशिक्षण सह उत्पादन केन्द्र/सिलाई केन्द्र।
5.5 मेपसेट।
5.6 उद्यमी विकास संस्थान।
5.7 अशासकीय अधिमान्यता प्राप्त/चिन्हांकित संस्थाऐं जो अभिरूची की अभिव्यक्ति के माध्यम सें प्रशासकीय विभाग द्वारा समय समय पर अधिकृत हो जाये।
5.8 अन्य शासकीय विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाये।
6. प्रशिक्षण हेतु उन्ही संस्थाओं का चयन किया जाये जो कम से कम 70 प्रतिशत प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवायेंगें। प्रत्येक प्रशिक्षण के संबंध में राज्य शासन द्वारा अधिकृत संस्थाओं से प्रमाणीकरण प्राप्त करना होगा।
7. प्रशिक्षण संस्थानों की पात्रता-
रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को चलाने के लिये ऐसे प्रविष्ठित प्रशिक्षण संस्थायें/एन.जी.ओं./ स्वयं सेवी संस्थान पात्र होंगंे।
(अ) अशासकीय संगठन (एन.जी.ओ) इस योजना के अंतर्गत रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को चलाने के लिये ऐसे प्रविष्ठित अशासकीय संगठन/स्वयं सेवी संस्थान पात्र होंगंे जो विविध रोजगारोन्मुखी, व्यवसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण देने आदि गतिविधि में संलग्न हो, जो कि न्यास कम्पनी अथवा सोसायटी एक्ट, भागीदारी फर्म आदि के
अंतर्गत पंजीबद्व हो। जो एन.सी.वी.टी की एम.आई.एस. योजना में व्ही.टी.पी. (टण्ज्ण्च्ण्) के रूप में पंजीबद्व हो अथवा (जो केन्द्र/राज्य शासन के किसी विभाग केन्द्रीय/राज्य शिक्षा बोर्ड/ टेक्निकल एजुकेशन बोर्ड/ मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से संबंद्व संस्थायें जो डिप्लोमा अथवा प्रमाण पत्र रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम
संचालित करतें हों/ एन.एस.डी.सी के टेनिंग पार्टनर तथा जो निम्नांकित शर्ते पूरी करते हों।)
(ब) उच्च गुणवत्ता/आई.एस.ओ. प्राप्त ऐसे संस्थान जो वित्तीय रूप से समक्ष है को प्राथमिकता दी जायेगी।
(स) संस्थान के पास संबंधित विषय में प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट प्रदान करने का कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो।
(द) संस्थान के पास ऐसे केन्द्र चलाने के लिये आवश्यक परिसर, पुस्तकालय, प्रशिक्षण हेतु अपेक्षित उपकरण, प्रशिक्षित स्टाफ जैसी आवश्यक अधोसंरचना उपलब्ध हो।
(इ) चयन हेतु संस्थानों की सफलता की दर को ध्यान में रखा जायेगा इस प्रयोजन के लिये विगत तीन वर्षाे की सफलता/ प्लेसमेंट की औसत पर विचार किया जाने के पश्चात् अधिक सफलता दर वाले कोचिंग संस्थानों की प्राथमिकता दी जायेगी।
8. प्रशिक्षण के विषयः-
1. इलेक्ट्रिशियन डोमेस्टिक/ कामर्शियल, इण्डस्ट्रियल/कंस्ट्रक्शन,
2. कम्प्यूटर आपरेटर,
3. आई.टी. हार्डवेयर टैक्निशियन,
4. गार्मेन्ट टेलरिंग,
5. टी.वी. एवं डी.टी.एच. टैक्निशियन,
6. प्लम्बर, ॅिफटर, मेसन, फेब्रिकेशन, वेल्डर/आर्क/पाईप/गैस,
7. पेन्टर, हाऊस/इन्डस्ट्री,
8. टैक्निशियन ट्रेक्टर,
9. रैफ्रिजरेटर मैकेनिक,
10. ए.सी. प्लाण्ट मैकेनिक,
11. मैकेनिक फोर व्हीलर, टू व्हीलर आॅटो इलेक्ट्रिशियन,
12. ड्रयवर कम मैकेनिक,
13. फैशन डिजाईनिंग,
14. सिक्युरिटी गार्ड,
15. बी.पी.ओ.
16. रिटेल टेªडी,
17. खाद्य प्रसंस्करण,
टीप- उपरोक्त व्यवसाय सांकेतिक है। उपरोक्त के अतिरिक्त स्थानीय परिस्थिति के अनुसार जहां अच्छे रोजगार की संभावना निहित हो उन व्यवसायों में भी प्रशिक्षण दिया जा सकता हैं।
9. प्रशिक्षण की अवधि एवं प्रशिक्षणार्थियों को देय सुविधायें।
9.1 प्राशिक्षण की अवधि न्यूनतम 45 दिन एवं अधिकतम एन.ई.एस. के मापदण्डों के अनुसार होगी। प्रशिक्षणार्थियों को विविध व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु प्रति प्रशिक्षणार्थी अधिकतम व्यय 1000/- रूपये प्रतिमाह निर्धारित किया जाता है। उक्त राशि में से 500/- रूपये प्रतिमाह प्रशिक्षण अवधि में भुगतान किया जायेगा तथा 500/- रूपये प्रतिमाह की
दर से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने एवं निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् अंतर राशि भुगतान की जायेगी।
10. प्रशिक्षण संस्था को देय राशि-
10.1 केन्द्र/राज्य सरकार/बोर्ड/यू.जी.सी. मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय तथा राष्ट्रीय संस्थान द्वारा संचालित संस्थान रोजगारोन्मुखी डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स हेतु निर्धारित फीस देय होगी।
10.2 अभिरूचि की अभिव्यक्ति के माध्यम से चयनित अशासकीय संस्थाओं/निजी क्षेत्र में संचालित संस्थाओं को प्रति प्रशिक्षणार्थी अधिकतम प्रतिमाह 4000/- रूपये देय होगी।
10.3 प्रशिक्षण संस्थाओं को प्रशिक्षण फीस की पहली किश्त अनुबंध उपरांत प्रशिक्षण कार्य प्रारंभ होने पर 35 प्रतिशत और दूसरी किश्त 35 प्रतिशत निरीक्षण उपरांत कार्य की प्रगति के आधार पर जारी की जाएगी एवं शेष 30 प्रतिशत राशि 70 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध कराने के पश्चात की जायेगी।
10.4 प्रशिक्षण संस्थानों को देय राशि के अतिरिक्त सेवाकार, आयकर एवं अन्य कर आदि का भुगतान विभाग द्वारा पृथक से नही किया जायेगा। संस्थाओं को देय राशि में से नियमानुसार आयकर का ¼T.D.S½ कटौत्रा किया जायेगा।
11. अनुबंध-
प्रशिक्षण हेतु चयनित संस्था को नोडल एजेंसी के साथ एक अनुबंध पत्र का निष्पादन करना होगा।
12. अभिलेखो का संधारणः-
प्रशिक्षण संस्थान प्रशिक्षण हेतु प्रवेशित उम्मीदवारो का सभी आवश्यक ब्यौरा, प्रशिक्षण से संबंधित आवश्यक सभी अभिलेख वित्तीय ब्यौरे, प्रशिक्षण से संबंधित फोटोग्राफ/वीडियो रिकार्डिंग आदि नोडल एजेन्सी के निर्देशानुसार संधारित करेंगा तथा आवश्यकता पड़ने पर सभी मूल अभिलेख अथवा उनकी प्रमाणित प्रतियां चाही जाने पर अथवा
निरीक्षण के समय उपलब्ध करायेगा एवं कार्याउेपरान्त प्लेस्मेंट की सूची भी उपलब्ध कराएगा।
13. मूल्यांकनः-
प्रमुख सचिव/विभागाध्यक्ष/प्रबंध संचालक, म.प्र. अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम/कलेक्टर, द्वारा समय-समय पर योजना का निरीक्षण एवं वर्ष में एक बार योजना का मूल्यांकन कराया जायेगा।
14. प्रशिक्षण हेतु आवश्यक दिश-निर्देशों का निर्धारणः-
योजना नियमों के अंतर्गत गुणवत्तापूर्वक प्रशिक्षण संचालित करने हेतु आवश्यक शर्तो, प्रपत्रो आदि का निर्धारण एवं समय-समय पर आवश्यक दिशा - निर्देश शासन/नोडल एजेन्सी द्वारा जारी किये जा सकेंगें। ताकि योजना के उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।
3. विशेष केन्द्रीय सहायता प्रशिक्षण हेतु पात्रता निम्नानुसार है:-
1 प्रशिक्षणार्थी मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो।
2 राज्य शासन द्वारा घोषित अनुसूचित जाति वर्ग का हो।
3 योजना में निःशुल्क प्रशिक्षण हेतु शिक्षित बेरोजगार/शाला त्यागी (ड्रॅापआउट)
4 अभ्यार्थी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8वीं उत्तीर्ण होगी अथवा पाठ्यक्रम के अनुसार निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी मान्य होगा।
5 अभ्यार्थियों की आयु सीमा 18 वर्ष से 35 वर्ष।
6 अभ्यार्थी के माता पिता/अभिभावक अथवा स्वयं की आय गरीबी रेखा के नीचे हो।
7 इस योजना के तहत् किसी अभ्यार्थी द्वारा प्रशिक्षण का लाभ केवल एक बार ही लिया जा सकेगा।
4. राज्य आयोजना सहायता प्रशिक्षण हेतु पात्रता निम्नानुसार है:-
1 प्रशिक्षणार्थी मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो।
2 राज्य शासन द्वारा घोषित अनुसूचित जाति वर्ग का हो।
3 योजना में निःशुल्क प्रशिक्षण हेतु शिक्षित बेरोजगार/षाला त्यागी (ड्रॅापआउट)
4 अभ्यार्थी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8वीं उत्तीर्ण होगी अथवा पाठ्यक्रम के अनुसार निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी मान्य होगा।
5 अभ्यार्थियों की आयु सीमा 18 वर्ष से 35 वर्ष।
6 अभ्यार्थी के माता पिता/अभिभावक अथवा स्वयं की आय भारत सरकार द्वारा पोस्ट मेट्रीक छात्रों की पात्रता हेतु निर्धारित आय सीमा के समान होगी।
7 इस योजना के तहत् किसी अभ्यार्थी द्वारा प्रषिक्षण का लाभ केवल एक बार ही लिया जा सकेगा।
1 प्रशिक्षार्थियों के चयन हेतु समिति:-
प्रशिक्षार्थियों का चयन कलेक्टर की अध्यक्षता में संचालक मण्डल द्वारा किया जायेगा या कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जायेगा जिसमें सहायक आयुक्त/जिला संयोजक आदिम जाति एवं अनु. जाति कल्याण विभाग, आई.टी आई./पोलीटेक्निक के प्राचार्य, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र, जिला रोजगार अधिकारी, सदस्य तथा मुख्यकार्यपालन अधिकारी/कार्यपालन अधिकारी जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति सदस्य सचिव होंगें।
2 योजना के क्रियान्वयन हेतु नोडल ऐजेंसीः-
योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश स्तर पर म.प्र. राज्य सहकारी अनु. जाति वित्त एवं विकास निगम भोपाल एवं जिला स्तर पर जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित (सम्बधित जिला) नोडल ऐजेंसी रहेगी।
7 वित्त प्रबंधन-
प्रशिक्षण हेतु राज्य आयोजना मद से एवं विशष केन्द्रीय सहयता मद से जिलो को निर्धारित लक्ष्य अनुसार प्रतिवर्ष बजट प्रावधान किया जायेगा।
8 प्रशिक्षण हेतु ऐजेंसी-
प्रशिक्षण हेतु निम्नलिखित ऐजेंसी में से उपयुक्त ऐजेंसी का निर्धारण जिला स्तरीय चयन कमेटी एवं नोडल ऐजेंसी द्वारा किया जायेगा:-
1 तकनीक कौशल विभाग द्वारा संचालित आई.टी.आई।
2 तकनीक कौशल विभाग द्वारा संचालित मिनी आई.टी.आई।
3 तकनीक कौशल विभाग द्वारा संचालित एस.डी.सी. (कौशल विकास केन्द्र)।
4 विभागीय प्रशिक्षण सह उत्पादन केन्द्र/सिलाई केन्द्र।
5 मेपसेट।
6 उद्यमी विकास संस्थान।
7 अशासकीय अधिमान्यता प्राप्त/चिन्हांकित संस्थाऐं जो अभिरूची की अभिव्यक्ति के माध्यम सें प्रशासकीय विभाग द्वारा समय समय पर अधिकृत हो जाये।
8 अन्य शासकीय विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाये।
9 प्रशिक्षण हेतु उन्ही संस्थाओं का चयन किया जाये जो कम से कम 70 प्रतिशत प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवायेंगें। प्रत्येक प्रशिक्षण के संबंध में राज्य शासन द्वारा अधिकृत संस्थाओं से प्रमाणीकरण प्राप्त करना होगा।
10 प्रशिक्षण संस्थाओं का चयन बिन्दु क्र. 5 में निर्धारित समिति ही प्रशिक्षण संस्थाओं के चयन हेतु जिला स्तर पर निर्धारित होगी। जो कलेक्टर की अध्यक्षता में निम्न पात्रता अनुसार प्रशिक्षण संस्था का चयन करने हेतु प्रभावी होगी।
11 प्रशिक्षण संस्थानों की पात्रता-
रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को चलाने के लिये ऐसे प्रविष्ठित प्रशिक्षण संस्थायें/ एन.जी.ओं./ स्वयं सेवी संस्थान पात्र होंगंे।
(अ) अशासकीय संगठन (एन.जी.ओ) इस योजना के अंतर्गत रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को चलाने के लिये ऐसे प्रतिष्ठित अशासकीय संगठन/स्वयं सेवी संस्थान पात्र होंगे जो विविध रोजगारोन्मुखी, व्यवसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण देने आदि गतिविधि में संलग्न हो, जो कि न्यास कम्पनी अथवा सोसायटी एक्ट, भागीदारी फर्म आदि के अंतर्गत पंजीबद्व हो। जो एन.सी.वी.टी की एम.आई.एस. योजना में व्ही.टी.पी. ¼V.T.P.½ के रूप में पंजीबद्व हो अथवा (जो केन्द्र/राज्य शासन के किसी विभाग केन्द्रीय/राज्य शिक्षा बोर्ड/ टेक्निकल एजुकेशन बोर्ड/ मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से संबंद्व संस्थायें जो डिप्लोमा अथवा प्रमाण पत्र रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करतें हों/ एन.एस.डी.सी के टेनिंग पार्टनर तथा जो निम्नांकित शर्ते पूरी करते हों।)
(ब) उच्च गुणवत्ता/आई.एस.ओ. प्राप्त ऐसे संस्थान जो वित्तीय रूप से समक्ष है को प्राथमिकता दी जायेगी।
(स) संस्थान के पास संबंधित विषय में प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट प्रदान करने का कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो को प्राथमिकता दी जावेगी।
(द) संस्थान के पास ऐसे केन्द्र चलाने के लिये आवश्यक परिसर, पुस्तकालय, प्रशिक्षण हेतु अपेक्षित उपकरण, प्रशिक्षित स्टाफ जैसी आवश्यक अधोसंरचना उपलब्ध हो।
(इ) चयन हेतु संस्थानों की सफलता की दर को ध्यान में रखा जायेगा इस प्रयोजन के लिये विगत तीन वर्षाे की सफलता/ प्लेसमेंट की औसत पर विचार किया जाने के पश्चात् अधिक सफलता दर वाले कोचिंग संस्थानों की प्राथमिकता दी जायेगी।
12 प्रशिक्षण के विषयः-
1. इलेक्ट्रिशियन डोमेस्टिक/ कामर्शियल, इण्डस्ट्रियल/कंस्ट्रक्शन,
2. कम्प्यूटर आपरेटर,
3. आई.टी. हार्डवेयर टैक्निशियन,
4. गार्मेन्ट टेलरिंग,
5. टी.वी. एवं डी.टी.एच. टैक्निशियन,
6. प्लम्बर, ॅिफटर, मेसन, फेब्रिकेशन, वेल्डर/आर्क/पाईप/गैस,
7. पेन्टर, हाऊस/इन्डस्ट्री,
8. टैक्निशियन ट्रेक्टर,
9. रैफ्रिजरेटर मैकेनिक,
10. ए.सी. प्लाण्ट मैकेनिक,
11. मैकेनिक फोर व्हीलर, टू व्हीलर आॅटो इलेक्ट्रिशियन,
12. ड्रयवर कम मैकेनिक,
13. फैशन डिजाईनिंग,
14. सिक्युरिटी गार्ड,
15. बी.पी.ओ.
16. रिटेल टेªड,
17. खाद्य प्रसंस्करण,
टीप- उपरोक्त व्यवसाय सांकेतिक है। उपरोक्त के अतिरिक्त स्थानीय परिस्थिति के अनुसार जहां अच्छे रोजगार की संभावना निहित हो उन व्यवसायों में भी प्रशिक्षण दिया जा सकता हैं।
13 प्रशिक्षण की अवधि एवं प्रशिक्षणार्थियों को देय सुविधायें।
1 प्राशिक्षण की अवधि न्यूनतम 45 दिन एवं अधिकतम एम.ई.एस. ¼Modular Employable Skills½ के मापदण्डों के अनुसार होगी। प्रशिक्षणार्थियों को विविध व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु प्रति प्रशिक्षणार्थी अधिकतम व्यय 1000/- रूपये प्रतिमाह निर्धारित किया जाता है। उक्त राशि में से 500/- रूपये प्रतिमाह प्रशिक्षण अवधि में भुगतान किया जायेगा तथा 500/- रूपये प्रतिमाह की दर से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने एवं निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् अंतर राशि भुगतान की जायेगी।
14 प्रशिक्षण संस्था को देय राशि-
1 केन्द्र/राज्य सरकार/ बोर्ड/यू.जी.सी. मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय तथा राष्ट्रीय संस्थान द्वारा संचालित संस्थान रोजगारोन्मुखी डिप्लोमा/ सर्टिफिकेट कोर्स हेतु निर्धारित फीस देय होगी।
2 अभिरूचि की अभिव्यक्ति के माध्यम से चयनित अशासकीय संस्थाओं/निजी क्षेत्र में संचालित संस्थाओं को प्रति प्रशिक्षणार्थी अधिकतम एमईएस ¼Modular Employable Skills½ अनुसार समय समय पर निर्धारित दर अधिकतम प्रतिमाह 4000/- रूपये देय होगी।
3 प्रशिक्षण संस्थाओं को प्रशिक्षण फीस की पहली किश्त अनुबंध उपरांत प्रशिक्षण कार्य प्रारंभ होने पर 30 प्रतिशत और दूसरी किश्त 30 प्रतिशत निरीक्षण उपरांत कार्य की प्रगति के आधार पर जारी की जाएगी एवं शेष 40 प्रतिशत राशि 70 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध कराने के पश्चात की जायेगी।
4 प्रशिक्षण संस्थानों को देय राशि के अतिरिक्त सेवाकार, आयकर एवं अन्य कर आदि का भुगतान विभाग द्वारा पृथक से नही किया जायेगा। संस्थाओं को देय राशि में से नियमानुसार आयकर का ¼T.D.S½ कटौत्रा किया जायेगा।
15 अनुबंध-
प्रशिक्षण हेतु चयनित संस्था द्वारा कलेक्टर एव अघ्यक्ष जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित (सम्बंधित जिला) के साथ एक अनुबंध पत्र का निष्पादन किया जायेगा। (प्रारूप संलग्न)
16 अभिलेखो का संधारणः-
प्रशिक्षण संस्थान प्रशिक्षण हेतु प्रवेशित उम्मीदवारो का सभी आवश्यक ब्यौरा, प्रशिक्षण से संबंधित आवश्यक सभी अभिलेख वित्तीय ब्यौरे, प्रशिक्षण से संबंधित फोटोग्राफ/वीडियो रिकार्डिंग आदि नोडल एजेन्सी क निर्देशानुसार संधारित करेंगा तथा आवश्यकता पड़ने पर सभी मूल अभिलेख अथवा उनकी प्रमाणित प्रतियां चाही जाने पर अथवा निरीक्षण के समय उपलब्ध करायेगा एवं कार्याेपरान्त प्लेस्मेंट की सूची भी उपलब्ध कराएगा।
1 मूल्यांकनः-
प्रमुख सचिव/विभागाध्यक्ष/प्रबंध संचालक, म.प्र. अनु. जाति वित्त एवं विकास निगम/कलेक्टर, एवं उसके द्वारा अधिकृत सक्षम अधिकारी द्वारा समय-समय पर योजना का निरीक्षण एवं मूल्यांकन कराया जायेगा।
2 प्रशिक्षण हेतु आवश्यक दिशा-निर्देशों का निर्धारणः-
योजना नियमों के अंतर्गत गुणवत्तापूर्वक प्रशिक्षण संचालित करने हेतु आवश्यक शर्तो, प्रपत्रो आदि का निर्धारण एवं समय-समय पर आवश्यक दिशा- निर्देश शासन/ नोडल एजेन्सी द्वारा जारी किये जा सकेंगें। ताकि योजना के उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।
उपरोक्तानुसार योजना के दिशा निर्देषों एवं शर्तो की पूर्ति एवं योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन का समस्त उत्तरदायित्व मुख्य कार्यपालन अधिकरी/कार्यपालन अधिकारी जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित का होगा।